Monday, April 30, 2012

ईश्वर खो गया है...!



ईश्वर खो गया है...!

एक बार की बात है दो भाई बड़े ही शरारती थे | और हमेशा कुछ न कुछ खुराफ़ात करते रहते थे |

अगर कोई अपने घर में बंद हो गया है तो निश्चित ही ये उन दोनों की कारगुज़ारी होती थी |

यदि किसी किसी का कुत्ता हरे या नीले रंग में पोत दिया गया था तो हर कोई जानता था कि ये किसकी करतूत है |

इसी तरह यदि किसी के वाहन के टायर से हवा निकल दी गयी हो तो ये भी निश्चित तौर पर उन्हीं दोनों  की बदमाशी होती थी |

एक दिन उन दोनों लड़कों की माँ ने एक धर्मोपदेशक / धर्मगुरु  से प्रार्थना की कि वे उसके बच्चों के मन में  ईश्वर का डर बैठा देंजिससे वो थोड़ा डर-सुधर कर अपनी हरकतों से बाज़ आयेंगे |

धर्मगुरु ने माँ से उसके बेटों को उसके पास एक - एक कर के भेजने को कहा |

जब छोटा वाला लड़काजो महज दस साल का था,  धर्मगुरु के पास आया तो धर्मगुरु ने उसे प्यार से बिठाया और मुलायमियत पूछा :

" ईश्वर कहाँ है ?" भाषागत भूल के कारण "   ईश्वर कहाँ रहता है ? " की  जगह " ईश्वर  कहाँ है ?"  पूछ बैठा...

लड़का चुपचाप धर्मगुरु की ओर निर्निमेष देखता रहा और कोई जवाब नहीं दिया |

धर्मगुरु ने दोबारा कुछ ऊंची आवाज़ में, ज़ोर से पूछा ,

" ईश्वर कहाँ है ?"

लड़का इस बार भी चुप रहा और डरी-डरी दृष्टि से धर्मगुरु की ओर देखता रहा |

लेकिन जब धर्मगुरु ने तीसरी बार भी उसी सवाल को पूछा तो लड़का अचकचा कर उठा और बाहर की ओर तेज़ दौड़ लगा कर भाग गया और सीधे अपने बड़े भाई के पास पहुँच कर हाँफते हुए बोला,

" हम बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गए हैं..!"

"क्योंक्या हुआ? " बड़े भाई ने कुछ चिंतित और ये सोचते हुए पूछा कि पता नहीं लोगों को उनकी कौनसी गड़बड़ी की खबर लग गयी है...|

" ईश्वर खो गया है, " छोटा भाई बोला,   
" -- और वे सोचते हैं कि इसमें भी हमारा हाथ है 
     और ये भी हमारा ही किया धरा है |"


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तब मन के भीतर का जिज्ञासु बोला :

è    " ईश्वर खो गया है.!"

è     मैं पुनः दोहरा रहा हूँ ,"  ईश्वर खो गया है..!!"

è      एक बार फिर से मैं अपनी पूरी शक्ति के साथ
    दोहराना चाहूँगा  किईश्वर खो गया  है...!!!"

   è       क्या कोई सुराग हैकोई जानकारीकोई जायज़ 
          जवाब...

è       और अभियुक्त कौन है 

è   किसने चोरी की..? कब और कैसे...?


खोने से अथवा  ग़ायब होने से पहले ईश्वर कहाँ पर था...?
         मंदिरों में...?,
         गिरिजाघरों में...?
         या मस्जिदों में...?


कुछ और ज़ेहनी सवाल :

è  ईश्वर के ग़ायब होने से सबसे ज़्यादा फ़ायदा किसे होगा...?

è  वो कौन है जिसे ईश्वर के खोने ग़ायब होने से 
    सर्वाधिक  और परिणामकारी नुकसान होगा...?

è       हम खोये हुएलापता ईश्वर को कैसे ढूँढ के निकाल सकते हैं...?

è       और क्या आपको लगता है कि ईश्वर के खोने में और
    ग़ायब होने में हम सबका भी हाथ हो सकता है...?


और अंत में :

       खोने व ग़ायब होने से पहले...
è      क्या वास्तव में हमारे पास कभी ईश्वर था भी या नहीं ?

1 comment:

ZEAL said...
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